Sunday 21 June 2015

Sri Shiva Lingashtakam -लिंगाष्टकम

 ब्रह्ममुरारि सुरार्चित लिङ्गं
निर्मलभासित शॊभित लिङ्गम् ।
जन्मज दुःख विनाशक लिङ्गं
तत्-प्रणमामि सदाशिव लिङ्गम् ॥ 1 ॥

दॆवमुनि प्रवरार्चित लिङ्गं
कामदहन करुणाकर लिङ्गम् ।
रावण दर्प विनाशन लिङ्गं
तत्-प्रणमामि सदाशिव लिङ्गम् ॥ 2 ॥

सर्व सुगन्ध सुलॆपित लिङ्गं
बुद्धि विवर्धन कारण लिङ्गम् ।
सिद्ध सुरासुर वन्दित लिङ्गं
तत्-प्रणमामि सदाशिव लिङ्गम् ॥ 3 ॥

कनक महामणि भूषित लिङ्गं
फणिपति वॆष्टित शॊभित लिङ्गम् ।
दक्ष सुयज्ञ निनाशन लिङ्गं
तत्-प्रणमामि सदाशिव लिङ्गम् ॥ 4 ॥

कुङ्कुम चन्दन लॆपित लिङ्गं
पङ्कज हार सुशॊभित लिङ्गम् ।
सञ्चित पाप विनाशन लिङ्गं
तत्-प्रणमामि सदाशिव लिङ्गम् ॥ 5 ॥

दॆवगणार्चित सॆवित लिङ्गं
भावै-र्भक्तिभिरॆव च लिङ्गम् ।
दिनकर कॊटि प्रभाकर लिङ्गं
तत्-प्रणमामि सदाशिव लिङ्गम् ॥ 6 ॥

अष्टदलॊपरिवॆष्टित लिङ्गं
सर्वसमुद्भव कारण लिङ्गम् ।
अष्टदरिद्र विनाशन लिङ्गं
तत्-प्रणमामि सदाशिव लिङ्गम् ॥ 7 ॥

सुरगुरु सुरवर पूजित लिङ्गं
सुरवन पुष्प सदार्चित लिङ्गम् ।
परात्परं परमात्मक लिङ्गं
तत्-प्रणमामि सदाशिव लिङ्गम् ॥ 8 ॥

लिङ्गाष्टकमिदं पुण्यं यः पठॆश्शिव सन्निधौ ।
शिवलॊकमवाप्नॊति शिवॆन सह मॊदतॆ ॥

Sunday 22 March 2015

Shri Ramacandra kripalu bhaju, mana, harana bhava bhaya darunam

श्रीरामचन्द्र कृपालु भजु मन हरण भवभय दारुणम् 
नवकञ्ज लोचन कञ्ज मुखकर कञ्जपद कञ्जारुणम् 

कंदर्प अगणित अमित छबि नव नील नीरज सुन्दरम् 
पटपीत मानहुं तड़ित रुचि सुचि नौमि जनक सुतावरम् 

भजु दीन बन्धु दिनेश दानव दैत्यवंशनिकन्दनम् 
रघुनन्द आनंदकंद कोशल चन्द दशरथ नन्दनम् 

सिर मुकुट कुण्डल तिलक चारु उदार अङ्ग विभूषणम् 
आजानुभुज सर चापधर सङ्ग्राम जित खरदूषणम् 

इति वदति तुलसीदास शङ्कर शेष मुनि मनरञ्जनम् 
मम हृदयकञ्ज निवास कुरु कामादिखलदलमञ्जनम् 

Tuesday 17 March 2015

Daata Ek Ram Bhikhari Saari Duniya



Data ek Ram bhikari sari duniya 
Ram ek devta pujari sari duniya
Pujari saari duniya

Data ek Ram bhikari sari duniya
Data ek raam

Dware pe uske jaake koi bhi pukarta 
Param kripa de apni bhav se ubharata 

Aise deena nath pe
Balihari sari duniya

Data ek Ram bhikhari sari duniya
Data ek Ram

Do din ka jeevan prani kar le vichar tu
Kar le vichar tu

Pyare prabhu ko apne man mai nihar tu 
Man mai nihar tu
Bina hari naam ke dukhiyari saari duniya

Data ek Ram bhikhari sari duniya
Data ek raam

Naam ka prakash jab ander jagayega
Pyare shri Ram ka tu darshan payega 

Jyoti se jiski hai
Ujyari saari duniya

Data ek Ram bhikhari sari duniya
Data ek Ram bhikhari sari duniya

Thursday 18 September 2014

chachiya bhar chach mein...ताहि अहीर की छोहरियाँ, छछिया भरि छाछ पै नाच नचावैं





सेस गनेस महेस दिनेस, सुरेसहु जाहि निरंतर गावै।
जाहि अनादि अनंत अखण्ड, अछेद अभेद सुबेद बतावैं॥
नारद से सुक व्यास रहे, पचिहारे तू पुनि पार पावैं।
ताहि अहीर की छोहरियाँ, छछिया भरि छाछ पै नाच नचावैं॥

Monday 1 September 2014

Thirty human mistakes...इन्सान की तीस गलतिया


इन्सान की तीस गलतिया


1. इस ख्याल में रहना कि जवानी और
तन्दुरुस्ती हमेशा रहेगी।
2.
खुद को दूसरों से बेहतर समझना।
3.
अपनी अक्ल को सबसे बढ़कर समझना।
4.
दुश्मन को कमजोर समझना। 
5.
बीमारी को मामुली समझकर शुरु में इलाज
करना।
6.
अपनी राय को मानना और दूसरों के मशवरें
को ठुकरा देना।
7.
किसी के बारे में मालुम होना फिर
भी उसकी चापलुसी में बार-बार जाना। 
8.
बेकारी में आवारा घुमना और रोज़गार
की तलाश करना।
9.
अपना राज़ किसी दूसरे को बता कर उससे
छुपाए रखने की ताकीद करना।
10.
आमदनी से ज्यादा खर्च करना।
11.
लोगों की तक़लिफों में शरीक होना, और
उनसे मदद की उम्मीद रखना।
12.
एक दो मुलाक़ात में किसी के बारे में
अच्छी राय कायम करना।
13.
माँ-बाप की खिदमत करना और
अपनी औलाद से खिदमत की उम्मीद रखना। 
14.
किसी काम को ये सोचकर
अधुरा छोड़ना कि फिर किसी दिन पुरा कर
लिया जाएगा।
15.
दुसरों के साथ बुरा करना और उनसे अच्छे
की उम्मीद रखना।
16.
आवारा लोगों के साथ उठना बैठना। 
17.
कोई अच्छी राय दे तो उस पर ध्यान
देना।
18.
खुद हराम हलाल का ख्याल करना और
दूसरों को भी इस राह पर लगाना।
19.
झूठी कसम खाकर, झूठ बोलकर,
धोखा देकर अपना माल बेचना, या व्यापार करना।
20.
इल्म, दीन या दीनदारी को इज्जत
समझना।
21.
मुसिबतों में बेसब्र बन कर चीख़ पुकार
करना।
22.
फकीरों, और गरीबों को अपने घर से धक्का दे
कर भगा देना।
23.
ज़रुरत से ज्यादा बातचीत करना।
24.
पड़ोसियों से अच्छा व्यवहार
नहीं रखना।
25.
बादशाहों और अमीरों की दोस्ती पर यकीन
रखना।
26.
बिना वज़ह किसी के घरेलू मामले में दखल
देना।
27.
बगैर सोचे समझे बात करना।
28.
तीन दिन से ज्यादा किसी का मेहमान बनना।
29.
अपने घर का भेद दूसरों पर ज़ाहिर करना।
30.
हर एक के सामने अपना दुख दर्द सुनाते
रहना।