Friday 30 November 2012

ॐ जय जगदीश हरे….om jai jagdish hare



ॐ जय जगदीश हरे, स्वामी जय जगदीश हरे।
भक्त जनों के संकट, क्षण में दूर करे॥ ॐ जय जगदीश…
जो ध्यावे फल पावे, दुःख बिनसे मन का।
सुख सम्पति घर आवे, कष्ट मिटे तन का॥ ॐ जय जगदीश…
मात पिता तुम मेरे, शरण गहूं मैं किसकी।
तुम बिन और न दूजा, आस करूं मैं जिसकी॥ ॐ जय जगदीश…
तुम पूरण परमात्मा, तुम अंतरयामी।
पारब्रह्म परमेश्वर, तुम सब के स्वामी॥ ॐ जय जगदीश…
तुम करुणा के सागर, तुम पालनकर्ता।
मैं सेवक तुम स्वामी, कृपा करो भर्ता॥ ॐ जय जगदीश…
तुम हो एक अगोचर, सबके प्राणपति।
किस विधि मिलूं दयामय, तुमको मैं कुमति॥ ॐ जय जगदीश…
दीनबंधु दुखहर्ता, तुम रक्षक मेरे।
करुणा हाथ बढ़ाओ, द्वार पड़ा तेरे॥ ॐ जय जगदीश…
विषय विकार मिटाओ, पाप हरो देवा।
श्रद्धा भक्ति बढ़ाओ, संतन की सेवा॥ ॐ जय जगदीश…

 

Wednesday 28 November 2012

मन तेरा मंदिर आखेँ दिया बाती……man tera mandir aankhen diya bati



मन तेरा मंदिर आखेँ दिया बातीहोटों की थालीयाँ बोल फुल पाती ||
रोम रोम जिव्हा तेरा नाम पुकारती आरती मैया आरती
  ज्योतावाली माँ तेरी आरती.....
 हे महालक्ष्मी माँ गौरी तु अपने आप है चारी
तेरी कीमत तु ही जाने तु बुरा भला पहचाने
ये कहते दिन और रातें तेरी लिखी ना जाये बातें
कोइ माने या ना माने हम भक्त तेरे दिवाने ...
तेरे पावँ सारी दुनियाँ पखारती
मन तेरा मंदिर आखेँ दिया बातीहोटों की थालीयाँ  बोल फुल पाती |
रोम रोम जिव्हा तेरा नाम पुकारती आरती मैया आरती ||
ज्योतावाली माँ तेरी आरती....
हे गुणवती सतवंती हे पदवती रसवंती
मेरी सुनना ये विंनती मेरा चोला रंग बंसती
हे दुखःभजंन सुखदाती हमे सुख देना दिन रात्री
जो तेरी महिमा गाये मुँह माँगी मुरादे पाये
हर आँख तेरी और निहारती
मन तेरा मंदिर आखेँ दिया बाती,  होटों की थालीयाँ , बोल फुल पाती |
रोम रोम जिव्हा तेरा नाम पुकारती आरती मैया आरती ||
ज्योतावाली माँ तेरी आरती.....
हे महाकाल महाशक्ती हमे दे दे ऐसी भक्ती
हे जगजननी महामाया है तु ही धूप और छाया
तू अमर अजर अविनाशी तु अनमिट पू्र्णमासी
सब करके दुर अंधेरे हमे बक्क्षों नये सवेरे
तु तो भक्तों की बिगडी सँवारती
मन तेरा मंदिर आखेँ दिया बातीहोटों की थालीयाँ  बोल फुल पाती ||
रोम रोम जिव्हा तेरा नाम पुकारती आरती मैया आरती
ज्योतावाली माँ तेरी आरती.....
तेरे पाँव सारी दुनियाँ पखारती
लाटा वाली माँ तेरी आरती
हर आँख तेरी और निहारती
ज्योतावाली माँ तेरी आरती
तु तो भक्तों की बिगडी सँवारती......

 

Tuesday 27 November 2012

मेरे दाता के दरबार में है, सब लोगो का खाता.....mere data ke darbar mein



मेरे दाता के दरबार में है, सब लोगो का खाता।
जो कोई जैसी करनी करता, वैसा ही फल पाता।
क्या साधू क्या रंक गृहस्थी, क्या राजा क्या रानी।
प्रभू की पुस्तक में लिक्खी है, सबकी कर्म कहानी।।
अन्तर्यामी अन्दर बैठा, सबका हिसाब लगाता।। मेरे....
बड़े बड़े कानून हैं प्रभू के, बड़ी बड़ी मर्यादा।
किसी को कौड़ी कम नहीं मिलती, मिले न पाई ज्यादा।।
इसीलिए तो वह दुनियाँ का, जगतपति कहलाता।।
चले न उसके आगे रिश्वत, चले नहीं चालाकी।
उसकी लेन देन की बन्दे, रीति बड़ी है बाँकी।।
समझदार तो चुप रहता है,मूरख शोर मचाता।। मेरे..
उजली करनी करले बन्दे, करम न करियो काला।
लाख आँख से देख रहा है, तुझे देखने वाला।।
उसकी तेज नज़र से बन्दे, कोई नहीं बच पाता।।
मेरे दाता के दरबार में है, सब लोगो का खाता। ||