मेरी लगी श्याम संग प्रीत.. ये दुनिया क्या जाने...
मुझे मिल गया मन का मीत.. ये दुनिया क्या जाने...
छवि देखी मैंने श्याम की जब से..
भई बांवरी मैं तो तब से...
बंधी प्रेम की डोर मोहन से..
नाता तोडा मैंने जग से..
ये कैसी पागल प्रीत...ये दुनिया क्या जाने...
ये कैसी निगोड़ी प्रीत...ये दुनिया क्या जाने...
मेरी लगी श्याम संग प्रीत.. ये दुनिया क्या जाने...
मुझे मिल गया मन का मीत..ये दुनिया क्या जाने...
मोहन की सुन्दर सुरतिया..
मन में बस गई मोहिनी मुरतिया...
लोग कहे मैं भई बंवरिया..
जब से ओढ़ी श्याम चुनरिया..
लोग कहे मैं भई बंवरिया..
मैंने छोड़ी जग की रीत .. ये दुनिया क्या जाने...
मुझे मिल गया मन का मीत..ये दुनिया क्या जाने...
हर दम अब तो रहूँ मस्तानी..
लोक लाज दिनी बिसरानी..
रूप राशी अंग अंग समानी..
टेरत herat रहूँ दीवानी..
मै तो गाऊ ख़ुशी के गीत .. ये दुनिया क्या जाने...
मुझे मिल गया मन का मीत..ये दुनिया क्या जाने...
मोहन ने ऐसी बंशी बजाई..
सब ने अपनी सुध बिसराई..
गोप गोपियाँ भागी आई..
लोक लाज कुछ काम न आई..
ये बाज उठा संगीत .. ये दुनिया क्या जाने...
मुझे मिल गया मन का मीत..ये दुनिया क्या जाने...
क्या जाने कोई क्या जाने..क्या जाने कोई क्या जाने..
मेरी लगी श्याम संग प्रीत.. ये दुनिया क्या जाने...
मुझे मिल गया मन का मीत.. ये दुनिया क्या जाने...
भूल गई कही आना जाना..
जग सार लागे बेगाना..
अब तो केवल श्याम दीवाना..
रूठ जाये तो उन्हें मनाना..
कब होगी प्यार की जीत .. ये दुनिया क्या जाने...
मुझे मिल गया मन का मीत.. ये दुनिया क्या जाने...
मेरी लगी श्याम संग प्रीत.. ये दुनिया क्या जाने...
मुझे मिल गया मन का मीत.. ये दुनिया क्या जाने...
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