Tuesday, 13 November 2012

कृष्णा सुदामा की दोस्ती……..krishna sudama friendship


धोति फटी.सी लटी दुपटी अरुए पाँय उपानह की नहिं सामा ।।
द्वार खड्यो द्विज दुर्बल एकए रह्यौ चकिसौं वसुधा अभिरामा
पूछत दीन दयाल को धामए बतावत आपनो नाम सुदामा ।।
बोल्यौ द्वारपाल सुदामा नाम पाँड़े सुनिए
छाँड़े राज.काज ऐसे जी की गति जानै कोघ्
द्वारिका के नाथ हाथ जोरि धाय गहे पाँयए
भेंटत लपटाय करि ऐसे दुख सानै कोघ्
नैन दोऊ जल भरि पूछत कुसल हरिए
बिप्र बोल्यौं विपदा में मोहि पहिचाने कोघ्
जैसी तुम करौ तैसी करै को कृपा के सिंधुए
ऐसी प्रीति दीनबंधु! दीनन सौ माने कोघ् ।।
लोचन पूरि रहे जल सों, प्रभु दूरिते देखत ही दुख मेट्यो
सोच भयो सुरनायक  के कलपद्रुम के हित माँझ सखेट्यो
कम्प कुबेर हियो सरस्यो, परसे पग जात सुमेरू ससेट्यो
रंक ते राउ भयो तबहीं, जबहीं भरि अंक रमापति भेट्यो ।।
भेंटि भली विधि विप्र सों, कर गहिं त्रिभुवन राय

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