रघुपति राघव राजा राम, पतित पावन सीता राम
सीता राम सीता राम, भज प्यारे तू सीताराम
जय रघु नंदन जय सिया राम, जानकी वल्लभ सीता राम
रघुपति राघव राजा राम, पतित पावन सीता राम
भीर परी भक्तों ने पुकारा, आन
हरो प्रभु कष्ट हमारा
तब दशरथ घर जन्मे राम पतित पावन सीता राम
बन में जाय ताड़का मारी, विश्वा मित्र की बिपदा हारी
सिया ब्याह घर आये राम, पतित पावन सीता राम
राज तिलक की भई तैयारी, कैकेयी ने कुछ और विचारी
वन में जाए लछमन राम, पतित पावन सीता राम
स्वर्ण हिरण बन
मारीच आया, रावन कपटी की ये माया
सिया ले गया लंका धाम, पतित पावन सीता राम
बाली मार सुग्रीव जिताया, बजरंग बली सिया सुधि लाया
बानर सेना बढ़ी तमाम, पतित पावन सीता राम
रावन मार राम घर
आये, घर घर बजे आनंद बधायी
धन्य अजुध्या पावन धाम, पतित पावन सीता राम
राम राज बैठे तिर्लोका, हरषे सभी मिटे सब
सोका
सिया राम सा सुन्दर नाम, पतित पावन सीता राम
रघुपति राघव राजा राम, पतित पावन सीता राम
सीता राम सीता राम भज प्यारे तू सीताराम
जय रघु नंदन जय सिया राम जानकी वल्लभ सीता राम
रघुपति राघव राजा राम, पतित पावन सीता राम
आदौ राम तपोवनादि गमनं हत्वाह् मृगा काञ्चनं
वैदेही हरणं जटायु मरणं सुग्रीव संभाषणं
बाली निर्दलं समुद्र तरणं लङ्कापुरी दाहनम्
पश्चद्रावनं कुम्भकर्णं हननं एतद्धि रामायणं
सियावर रामचन्द्र की जय !!!
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