Sunday, 30 December 2012

Ram sumir ke reham kare na phir kaise


Ram sumir ke reham kare na phir kaise sukh payega
Krishna sumir ke karam kare na yunhi jag se jaayega
Oh bhagwaan ko bhajne wale kya bhagwaan ko jana hai
Paas pados dukhi deenon mein kya usko pehchana hai
Jab tak teri khudi na toote khuda nazar na aayega
Yeh sansaar hai karam ki kheti jo boye wohi paave
Prem pyar se seench le jeevan yeh awasar phir na aaye
Char dino ka jeevan hai yeh kab tak thokar khayega
Andar tere antaryami roz tujhko samjhata hai
Bhala bura kya karna tujhko rah tujhe dikhlata hai
Man ki kahi pe chalne wale phir phichhe pachhtayega
Sharan gaye bin jaap hai nishphal nishphal hai jeevan tera
Janam maran ki saadh na choote rahe dukhon se nit ghera
Paap gathariya bhari hogayi kab tak bojh uthayega

Sunday, 23 December 2012

श्री राधे गोविंदा, मन भज ले हरी का प्यारा नाम है...........shri radhe govinda man bhaj le hari ka pyara naam hai



श्री राधे गोविंदा, मन भज ले हरी का प्यारा नाम है।
गोपाला हरी का प्यारा नाम है, नंदलाला हरी का प्यारा नाम है॥

मोर मुकुट सर गल बन माला, केसर तिलक लगाए,
वृन्दावन में कुञ्ज गलिन में सब को नाच नचाए।
श्री राधे गोविंदा, मन भज ले हरी का प्यारा नाम है॥

गिरिधर नागर कहती मीरा, सूर को शयामल भाया,
तुकाराम और नामदेव ने विठ्ठल विठ्ठल गाया।
श्री राधे गोविंदा, मन भज ले हरी का प्यारा नाम है॥

नरसी ने खडताल बजा के सांवरिया को रिझाया,
शबरी ने अपने हाथों से प्रभु को बेर खिलाया।
श्री राधे गोविंदा, मन भज ले हरी का प्यारा नाम है॥

राधा शक्ति बिना ना कोई श्यामल दर्शन पाए,
आराधन कर राधे राधे काहना भागे आए।
श्री राधे गोविंदा, मन भज ले हरी का प्यारा नाम है॥

सिमरन का रस जिसको आया, वो ही जाने मन में,
निराकार साकार होतरे भगतों के आँगन में।
श्री राधे गोविंदा, मन भज ले हरी का प्यारा नाम है॥

श्याम सलोना कुंजबिहारी नटवर लीलाधारी,
अन्तर्वासी हरिअविनाशी लागे शरण तिहारी।
श्री राधे गोविंदा, मन भज ले हरी का प्यारा नाम है॥

श्रीरामचन्द्र कृपालु भजु मन …………….shri ramchandra kripalu bhajman



श्रीरामचन्द्र कृपालु भजु मन हरण भवभय दारुणम् .
नवकञ्ज लोचन कञ्ज मुखकर कञ्जपद कञ्जारुणम् .. १..
कंदर्प अगणित अमित छबि नव नील नीरज सुन्दरम् .
पटपीत मानहुं तड़ित रुचि सुचि नौमि जनक सुतावरम् .. २..
भजु दीन बन्धु दिनेश दानव दैत्यवंशनिकन्दनम् .
रघुनन्द आनंदकंद कोशल चन्द दशरथ नन्दनम् .. ३..
सिर मुकुट कुण्डल तिलक चारु उदार अङ्ग विभूषणम् .
आजानुभुज सर चापधर सङ्ग्राम जित खरदूषणम् .. ४..
इति वदति तुलसीदास शङ्कर शेष मुनि मनरञ्जनम् .
मम हृदयकञ्ज निवास कुरु कामादिखलदलमञ्जनम् .. ५..

Saturday, 15 December 2012

श्याम तेरी बंसी पुकारे राधा नाम,...shyam teri bansi pukare radha naam


श्याम तेरी बंसी पुकारे राधा नाम,
श्याम तेरी बंसी पुकारे राधा नाम,
लोग करे मीरा को यूँही बदनाम.
लोग करे मीरा को यूँही बदनाम.

सावरे की बंसी को बाजने से काम,
सावरे की बंसी को बाजने से काम,
राधा का भी श्याम हो तो मीरा का भी श्याम.
राधा का भी श्याम हो तो मीरा का भी श्याम.

ऊओऊजमुना की लहेरे बंसिबज की चाईया,
किसका नहीं हैं कहो कृष्ण कन्हिया

जमुना की लहेरे बंसिबज की चाईया,
किसका नहीं हैं कहो कृष्ण कन्हिया.

श्याम का दीवाना तो सारा ब्रिज्धाम
श्याम का दीवाना तो सारा ब्रिज्धाम,
लोग करे मीरा को यूँही बदनाम.

सावरे की बंसी को बाजने से काम,
सावरे की बंसी को बाजने से काम,
राधा का भी श्याम हो तो मीरा का भी श्याम.
राधा का भी श्याम हो तो मीरा का भी श्याम

ऊओऊ…. कौन जाने बाँसुरिया किसको बुलाये,
जिसके मन भाये यह उसीके गुण गाये.

कौन जाने बाँसुरिया किसको बुलाये,
जिसके मन भाये यह उसीके गुण गाये

कौन नहीं,कौन नहीं बंसी की धून का गुलाम,
राधा का भी श्याम हो तो मीरा का भी श्याम.

श्याम तेरी बंसी पुकारे-एए…. राधा- नाआआआम ओऊ
श्याम तेरी बंसी कन्हिया तेरी बंसी पुकारे राधा नाम,
लोग करे मीरा को यूँही बदनाम

 

Sunday, 9 December 2012

hanuman ji aarti...



आरती कीजै हनुमान लला की
आरती कीजै हनुमान लला की .दुष्ट दलन रघुनाथ कला की ..
जाके बल से गिरिवर काँपेरोग दोष जाके निकट न झाँके ।
अंजनि पुत्र महा बलदायीसंतन के प्रभु सदा सहायी ..आरती कीजै हनुमान लला की .
दे बीड़ा रघुनाथ पठायेलंका जाय सिया सुधि लाये ।
लंका सौ कोटि समुद्र सी खाईजात पवनसुत बार न लाई ..आरती कीजै हनुमान लला की .
लंका जारि असुर संघारेसिया रामजी के काज संवारे ।
लक्ष्मण मूर्छित पड़े सकारेआन संजीवन प्राण उबारे ..आरती कीजै हनुमान लला की .
पैठि पाताल तोड़ि यम कारेअहिरावन की भुजा उखारे ।
बाँये भुजा असुरदल मारेदाहिने भुजा संत जन तारे ..आरती कीजै हनुमान लला की .
सुर नर मुनि जन आरति उतारेजय जय जय हनुमान उचारे ।
कंचन थार कपूर लौ छाईआरती करति अंजना माई ..आरती कीजै हनुमान लला की .
जो हनुमान जी की आरति गावेबसि वैकुण्ठ परम पद पावे ।
आरती कीजै हनुमान लला की .दुष्ट दलन रघुनाथ कला की ..

Thursday, 6 December 2012

मेरे तो गिरधर गोपाल दूसरो न कोई ..mere to girdhar gopal




मेरे तो गिरधर गोपाल दूसरो कोई

जाके सिर मोर मुकुट मेरो पति सोई

तात मात भ्रात बंधु आपनो कोई

छांड़ी दई कुलकी कानि कहा करिहै कोई

संतन ढिग बैठि बैठि लोक लाज खोई

चुनरी के किये टूक ओढ़ लीन्ही लोई

मोती मूंगे उतार बनमाला पोई

अंसुवन जल सीचि सीचि प्रेम बेलि बोई

अब तो बेल फैल गई आंनद फल होई

दूध की मथनियां बड़े प्रेम से बिलोई

माखन जब काढ़ि लियो छाछ पिये कोई

भगति देखि राजी हुई जगत देखि रोई

दासी मीरा लाल गिरधर तारो अब मोही


Wednesday, 5 December 2012

संकटमोचन हनुमान....Sankat Mochan hanuman



         बाल समय रवि भक्षी लियो तब तीनहुं लोक भयो अँधियारो I
ताहि सो त्रास भयो जग को यह संकट काहू सो जात टारो II
देवन आनि करी बिनती तब छाड़ दियो रवि कष्ट निवारो I
को नहीं जानत है जग में कपि संकट मोचन नाम तिहारो II

बालि की त्रास कपीस बसे गिरि जात महा प्रभु पंथ निहारो I
चौंकि महा मुनि श्राप दियो तब चाहिये कौन बिचार बिचारो II
कै द्विज रूप लिवाय महा प्रभु सो तुम दास के शोक निवारो I
को नहीं जानत है जग में कपि संकट मोचन नाम तिहारो II

अंगद के संग लेन गये सिया खोज कपीस यह बैन उचारो I
जीवत ना बचिहौ हम सो जो बिना सुधि लाये यहाँ पगु धारौ II
हेरि थके तट सिन्धु सबै तब लाये सिया सुधि प्राण उबारो I
को नहीं जानत है जग में कपि संकट मोचन नाम तिहारो II

रावण त्रास दई सिया को सब राक्षसि सों कहि शोक निवारो I
ताहि समय हनुमान महाप्रभु जाय महा रजनी चर मारो II
चाहत सिया अशोक सों आगिसु दें प्रभु मुद्रिका शोक निवारो I
को नहीं जानत है जग में कपि संकट मोचन नाम तिहारो II

बाण लाग्यो उर लक्ष्मण के तब प्राण तज्यो सुत रावण मारो I
ले गृह वैद्य सुषेन समेत तवै गिरि द्रोण सो वीर उपारो II
आनि सजीवन हाथ दई तब लक्ष्मण के तुम प्राण उबारो I
को नहीं जानत है जग में कपि संकट मोचन नाम तिहारो II

रावण युद्ध अजान कियो तब नाग कि फाँस सबै सिर दारो I
श्री रघुनाथ समेत सबै दल मोह भयो यह संकट भारो II
आनि खगेस तबै हनुमान जु बंधन काटि सुत्रास निवारो I
को नहीं जानत है जग में कपि संकट मोचन नाम तिहारो II

बंधु समेत जबै अहि रावण लै रघुनाथ पातळ सिधारो I
देविहिं पूजि भलि विधि सो बलि देउ सबै मिलि मंत्र विचारो II
जाय सहाय भयो तब ही अहि रावण सैन्य समेत संघारो I
को नहीं जानत है जग में कपि संकट मोचन नाम तिहारो II

काज किये बड़ देवन के तुम वीर महा प्रभु देखि बिचारो I
कौन सो संकट मोर गरीब को जो तुम सों नहिं जात है टारो II
बेगि हरो हनुमान महा प्रभु जो कछु संकट होय हमारो I
को नहीं जानत है जग में कपि संकट मोचन नाम तिहारो II

लाल देह लाली लसे ,अरु धरि लाल लंगूर I
बज्र देह दानव दलन,जय जय जय कपि सूर II


Saturday, 1 December 2012

आरती कीजे हनुमान लाला की …… aarti ki jai hanuman lala ki




आरती कीजे हनुमान लाला की   दुष्ट दालान रघुनाथ कला की 
जा के बल से गिरिवर काँपे  रोग दोष जाके निकट झाँपे।
अनजानी पुत्र महा बलदाई, संतन के प्रभु सदा सहाई।
आर्ट कीजे  हनुमान लाला की ।।

दे बीरा रघुनाथ पठाए  लंका जारी सिया सुधि  लाये ।।
लंका सो कोट समुद्र सी खाई  जात पवनसुत  बार लाई।।
आरती कीजे हनुमान लाला की।।

लंका जारी असुर संघारे  सिया राम जी के काज संवारे \
लक्ष्मण मुर्छित पड़े सकारे। आणि संजीवन प्राण उबारे 
आरती कीजे हनुमान लाला की ।।

पैठी पटल तोरी जमकारे  अहिरावन की भुजा उखारे ।।
बाएं भुजा असुरदल मारे  दाहिने भुजा संतजन तारे 
आरती कीजे हनुमान लाला की 

सुर नर मुनि जन आरती उतारे  जय जय जय हनुमान जी उचारे ।।
कंचन थर कपूर लौ छाई। आरती करत अंजना माई।
आरती कीजे हनुमान लला की ।।

जो हनुमानजी की आरती गावे  बसी बैकुंठ परम पद पावे।
लंका विध्वंस किये रघुराई   तुलसीदास प्रभु कीर्ति गाई।
आरती कीजे हनुमान लला की ।।