Thursday, 18 September 2014

chachiya bhar chach mein...ताहि अहीर की छोहरियाँ, छछिया भरि छाछ पै नाच नचावैं





सेस गनेस महेस दिनेस, सुरेसहु जाहि निरंतर गावै।
जाहि अनादि अनंत अखण्ड, अछेद अभेद सुबेद बतावैं॥
नारद से सुक व्यास रहे, पचिहारे तू पुनि पार पावैं।
ताहि अहीर की छोहरियाँ, छछिया भरि छाछ पै नाच नचावैं॥

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