Saturday, 1 December 2012

आरती कीजे हनुमान लाला की …… aarti ki jai hanuman lala ki




आरती कीजे हनुमान लाला की   दुष्ट दालान रघुनाथ कला की 
जा के बल से गिरिवर काँपे  रोग दोष जाके निकट झाँपे।
अनजानी पुत्र महा बलदाई, संतन के प्रभु सदा सहाई।
आर्ट कीजे  हनुमान लाला की ।।

दे बीरा रघुनाथ पठाए  लंका जारी सिया सुधि  लाये ।।
लंका सो कोट समुद्र सी खाई  जात पवनसुत  बार लाई।।
आरती कीजे हनुमान लाला की।।

लंका जारी असुर संघारे  सिया राम जी के काज संवारे \
लक्ष्मण मुर्छित पड़े सकारे। आणि संजीवन प्राण उबारे 
आरती कीजे हनुमान लाला की ।।

पैठी पटल तोरी जमकारे  अहिरावन की भुजा उखारे ।।
बाएं भुजा असुरदल मारे  दाहिने भुजा संतजन तारे 
आरती कीजे हनुमान लाला की 

सुर नर मुनि जन आरती उतारे  जय जय जय हनुमान जी उचारे ।।
कंचन थर कपूर लौ छाई। आरती करत अंजना माई।
आरती कीजे हनुमान लला की ।।

जो हनुमानजी की आरती गावे  बसी बैकुंठ परम पद पावे।
लंका विध्वंस किये रघुराई   तुलसीदास प्रभु कीर्ति गाई।
आरती कीजे हनुमान लला की ।।

 

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