Thursday, 6 December 2012

मेरे तो गिरधर गोपाल दूसरो न कोई ..mere to girdhar gopal




मेरे तो गिरधर गोपाल दूसरो कोई

जाके सिर मोर मुकुट मेरो पति सोई

तात मात भ्रात बंधु आपनो कोई

छांड़ी दई कुलकी कानि कहा करिहै कोई

संतन ढिग बैठि बैठि लोक लाज खोई

चुनरी के किये टूक ओढ़ लीन्ही लोई

मोती मूंगे उतार बनमाला पोई

अंसुवन जल सीचि सीचि प्रेम बेलि बोई

अब तो बेल फैल गई आंनद फल होई

दूध की मथनियां बड़े प्रेम से बिलोई

माखन जब काढ़ि लियो छाछ पिये कोई

भगति देखि राजी हुई जगत देखि रोई

दासी मीरा लाल गिरधर तारो अब मोही


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