Saturday, 30 March 2013

कबीर वाणी 3….. kabir vani3



सुख मे सुमिरन ना किया, दु:ख मे किया याद ।
कह कबीर ता दास की, कौन सुने फरियाद ॥1 ॥

साईं इतना दीजिये, जा मे कुटुम समाय ।
मैं भी भूखा न रहूँ, साधु ना भूखा जाय ॥ 2  ॥

लूट सके तो लूट ले, राम नाम की लूट ।
पाछे फिरे पछताओगे, प्राण जाहि जब छुट ॥3॥

जाति न पूछो साधु की, पूछि लीजिए ज्ञान ।
मोल करो तलवार का, पड़ा रहन दो मयान ॥ 4 ॥

जहाँ दया तहाँ धर्म है, जहाँ लोभ तहाँ पाप ।
जहाँ क्रोध तहाँ पाप है, जहाँ क्षमा तहाँ आप ॥ 5 ॥

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