मूँड़ मुड़ाये हरि मिले, सब कोई लेय मुड़ाय।
बार-बार  के  मूड़ते,  भेड़   न   बैकुण्ठ   जाय॥
कबीरदास जी कहते हैं कि सिर के बाल कटवाने से अगर भगवान् प्राप्त हो जाए तो सब कोई सिर के बाल कटवाकर भगवान् को प्राप्त कर ले। जिस तरह से भेड़ का पूरा शरीर कई बार मूड़ा जाता है तब भी वह बैकुण्ठ को नहीं प्राप्त कर सकता है।

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